"देश
का मौन जबरदस्त है“
हर तरफ मौन और मौन का सन्नाटा है,
हर कोई अपने घर पर छुपा बैठा क्यों है,
हर आवाज़ को अपने गुमने का डर क्यों है,
गाल बजाते नेत्रित्व को देखो औकात पे है,
अख़बार-टीवी पे ना कोई
ताज़ा खबर है,
"नंगे" विज्ञापनों की बहार ही
बहार है,
यही "अखबरों-टीवी" पे खास समाचार
है,
दुश्मन अपने ही बने मानवता भी चुप है,
बंद दरवाज़ों के सारे फैसले सुनते सब हैं,
हर नेता अब खबर बनने तैयार अब है,
देश में मच हाहाकार जबरदस्त अब है,
फिर भी नेत्रित्व जबरदस्त है के चुप
है,
दुशासनो ने नारीत्व को दागदार
किया है,
अँधा "नेत्रित्व" जबरा है व जबरदस्त
है,
"भीष्म" जनता ख़ूनी आँसू
रोके त्रस्त है,
"नराधम" तो कुटिलता से
"दयापात्र " हैं,
जनता पे
ज़बरदस्त "जुल्मो-सितम" है,
"जातिप्रथा" का जबरदस्त बोलबाला
है,
"अगड़ों"
ने "पिछड़ा" कोटा बना डाला है,
विकास की बहार बड़ी जोर जबरदस्त है,
"स्विस-बैंक" में हर नेता का एक
खाता है,
सभी को मालूम अब नेता
कमाताखाता है,
"समाज़-सेवा" का व्यापर जबरदस्त
है,
हिंग लगे न फिटकरी सब चोखा-चोखा है,
हर हिसाब में दोस्त अब धोखा-ही-धोखा
है,
अबके देश में आने तूफानी परिवर्तन है,
"जबरदस्त-नेत्रित्व" हो तब
सुधार सम्भव है,
ठान लो अबके "दान" दो
"मतदान" मत दो।